Description
गोविन्द उपाध्याय के उपन्यास ‘जिंदगी@मगनपुर इस्टेट’ की रचना प्रक्रिया स्वयं लेखक की आत्म-संवेदना और स्मृतियों की धारा से उपजी है, जिसमें कोई पूर्वनिर्धारित योजना नहीं थी, बल्कि किशोरावस्था की स्मृतियों से उभरे पात्रों ने स्वतः कथा को आकार देना शुरू किया। मगनपुर इस्टेट उस कल्पना की उपज है जहाँ लेखक ने अपने अनुभवों, देखे-सुने परिवेश और भीतर के भावलोक को पिरोया।
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