Description
आरती ‘आस्था’ के इन संस्मरणों में अद्भुत कथारस है, अप्रतिम किस्सागोई है। वे कहानी कहती चलती हैं और पाठक और भावक मन को साथ लिए चलती हैं। उनकी प्रवहमान लेखनी में आत्मा का आलोक है, एक स्नेहिल स्निग्धता है, कारुण्य और आर्द्रता है, वैचारिक ऋजुता है और सबसे बड़ी बात यह है कि बिना किसी अतिरिक्त भंगिमा को अपनाए हुए, वह बड़ी बात कह जाती हैं। ऐसे संस्मरणों की आज हमारे समय और समाज को गहरी ज़रूरत है, जो आदमी को रिश्ते-नातों का रचनात्मक आसमान मुहैया करवाते हैं। यह केवल संस्मरण नहीं, व्यक्तिपरक मूल्यांकन भी हैं, जिनमें लेखन की होम होती हुई सांसें भी हैं। – यश मालवीय
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