Description
कुँअर बेचैन की ग़ज़लों में जमाने की बेचैनियाँ हैं। उनकी मुहब्बत की तहरीरों में हृदय का रसायन है, धड़कनों की इबारत है। वे बड़ी शिद्दत से गीत व ग़ज़लें लिखने के हामी रहे हैं। कविता के मानकों में सिद्धहस्त कुँअर बेचैन ने तमाम बहरों में ग़ज़लें कही हैं। आसान-सी लगने वाली हिंदवी में ग़ज़ल कहने में वे उस्ताद थे। गीत में उनके यहाँ तद्भव और तत्सम के शब्दों की बेहतरीन जुगलबंदी मिलेगी तो ग़ज़ल में ज़िन्दगी के अहसासात के अनेक अछूते अनुभव। जिसे बनाया वृद्ध पिता के श्रमजल ने जैसा गीत लिख कर उन्होंने सरोकारों की उंगली थाम कर चलने वाले कवियों को आईना दिखाया है।
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