Description
डॉ. प्रमोद पाण्डेय की पुस्तक ‘प्रवासी साहित्य : संवेदना एवं शिल्प’ प्रवासी साहित्य के विस्तृत आयामों को समझने और मूल्यांकित करने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है। इस कृति में उन्होंने प्रवासी जीवन की जटिलताओं, सांस्कृतिक द्वंद्वों, आत्मिक विछिन्नता और पहचान के संघर्ष को साहित्यिक दृष्टिकोण से विश्लेषित किया है। पुस्तक में संवेदना और शिल्प—दोनों पर समान रूप से ध्यान देते हुए यह बताया गया है कि कैसे प्रवासी लेखक अपने अनुभवों को भाषा, प्रतीक और संरचना के माध्यम से अभिव्यक्त करते हैं। डॉ. पाण्डेय ने भारतीय और विश्व-प्रवासी साहित्य को संदर्भ में रखकर यह स्पष्ट किया है कि यह साहित्य केवल अनुभव का दस्तावेज नहीं, बल्कि नए सांस्कृतिक विमर्शों का वाहक भी है। उनके आलोचनात्मक दृष्टिकोण में साहित्यिक सौंदर्यबोध के साथ-साथ सामाजिक और भावनात्मक सरोकारों की गहरी समझ दिखाई देती है। यह पुस्तक प्रवासी साहित्य के अध्येताओं, शोधार्थियों और पाठकों के लिए एक उपयोगी और संदर्भपूर्ण ग्रंथ है।
Reviews
There are no reviews yet.