Description
चंदेश्वर परवाना जी के भोजपुरी कहानी संग्रह ‘मेला’ में गाँव-जवार के जीवन, परंपरा, संघर्ष और बदलते सामाजिक स्वरूप की सजीव झलक मिलती है। इस संग्रह की कहानियाँ न केवल आम आदमी के भावनात्मक और मानसिक पहलुओं को उजागर करती हैं, बल्कि ग्रामीण संस्कृति की मिट्टी से उपजी संवेदनाओं को भी बखूबी प्रस्तुत करती हैं। ‘मेला’ शीर्षक अपने आप में प्रतीकात्मक है — यह विविधता, रंग-बिरंगी मानसिकताओं और जीवन की हलचल का संकेत देता है। परवाना की लेखनी में गहरी संवेदनशीलता और लोकभाषा की मिठास है, जो पाठकों को सीधे दिल से जोड़ती है।
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