Description
‘पंचम-वेद’ कहे जाने वाले महर्षि वेदव्यास प्रणित ‘महाभारत’ नामक वृहद् ग्रन्थ हमारे सनातन संस्कृति का प्राण कहा जाता है। इसके पन्ने-पन्ने में धार्मिक, आध्यात्मिक, सांस्कृतिक, नैतिक आदि अमृतरूपीतत्त्व मुक्ता-मणियों भी भाँति बिखरे पड़े है। सुधिजन ही इसे समेट पाने में सक्षम होते हैं। इन्हीं अमूल्य मुक्ता-मणियों को समेटने का स्तुत्य प्रयास श्री महेश प्र. पाठकजी की यह अमूल्य कृति ‘महाभारत कोश’ नामक इस कोश-ग्रन्थ में देखने को मिलती है। यह असाधारण कोश निश्चित ही प्रबुद्ध वर्ग के लोगों के बीच महत्वपूर्ण स्थान बनायेगी। इस कोश में महाभारतीय विभिन्न तत्त्वों का समावेश है, जिसके कारण इसकी महत्ता स्वयंसिद्ध होती है।
Reviews
There are no reviews yet.