Description
वरिष्ठ कवि गिरिधर करुण की पुस्तक ‘कोरे कागज़ के आखर’ समकालीन हिंदी कविता को एक नई संवेदना और दृष्टि प्रदान करती है। यह संग्रह मानवीय अनुभूतियों, सामाजिक सरोकारों और आत्मिक गहराइयों का साक्षात्कार कराता है। गिरिधर करुण की भाषा सरल, प्रभावशाली और संवेदनात्मक है, जो पाठक के हृदय में सीधे उतरती है। पुस्तक का शीर्षक ही संकेत करता है कि कवि जीवन के उस शून्य अथवा रिक्ति को शब्दों के माध्यम से भरने का प्रयास करता है, जो अनकहा रह जाता है।
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