Description
आधुनिक बोध का दूसरा अर्थ है वह बोध जिसे आधुनिक युग ने दिया है। आधुनिक काल अपनी विशिष्ट प्रकृति के कारण सारे पिछले युगों से भिन्न है। सारे पिछले युग एक-दूसरे से भिन्न दीखते हुए भी आत्मा के एक सूत्र में बँधे हैं। हम कह सकते हैं कि सारे पिछले युगों की मूल चेतना आध्यात्मिक या धार्मिक रही है। मूल सत्य ब्रह्म माना गया है। उसी की अभिव्यक्ति यह जगत् है। सृष्टि के समस्त व्यापारों और व्यवस्थाओं में उसी की इच्छा अभिव्यक्त है। जगत में जहाँ जो कुछ हो रहा है ईश्वरी संकेत पर हो रहा है। मनुष्य अपने पूर्व जन्म में कर्मों का फल भोगता है अतः सामाजिक व्यवस्था के मूल में ईश्वरी न्याय है। जो विषमता दिखाई दे रही है वह स्वयं मनुष्य के कर्मफल का परिणाम है। इसमें ईश्वरी न्याय है।
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