लीक से हटकर

समालोचना एक गंभीर कर्म है- ‘रचना’ को खोलना, समझना और पाठक श्रोता के माध्यम से जन-मानस तक पहुँचाना। एक गंभीर विधा की गंभीरता को नेपथ्य में रखते हुए एक हँसती, खिल-खिलाती, चुलबुली शैली में संस्मरण को क्या कहेंगे आप? आप जो भी कहना चाहें, कहें। हिमालय की तराई के एक गाँव में किसान पिता के पसीने से भीगे, खूँटी पर टंगे कुर्त्ते की गंध से श्रम के प्रति पूज्य भाव और श्रमजीवी के प्रति सहज मैत्री को आजीवन निभाने वाले विश्वनाथ त्रिपाठी कई बदलाव करते हैं। किसी विधा में श्रेष्ठ…

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