Description
प्रो रामदरश मिश्र की छठी डायरी पुस्तक ‘सुख-दुख के राग’ उनकी दीर्घ जीवन-यात्रा की साक्षी है। यह साक्ष्य प्रस्तुत करती है कि अभी भी उनके मन में सर्जनात्मकता स्पंदित हो रही है और वे अपने माध्यम से परिवेश-जीवन की समकालीन गतिविधियों को रूपायित कर रहे हैं। उनकी डायरी दैनिक जीवन के सामान्य क्रिया-कलापों का विवरण नहीं होती, उसमें कविता की आभा भी होती है, निबंध मूलक चिंतन भी होता है, कथा-रस भी होता है, व्यक्ति, समाज, राष्ट्र की समस्याओं के प्रति सोच-विचार भी होता है। यानी कि उनकी डायरी पूरी सर्जनात्मक आभा से दीप्त होती है।
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