Description
यह पुस्तक विशेष रूप से सर्वेश्वर जी की कविताओं और उनकी काव्य यात्रा पर केन्द्रित है। इसमें लेखक की विशेषताओं, शैलीगत प्रयोगों और उनकी कविताओं में झलकते मानवीय मूल्यों का विश्लेषण किया गया है। सर्वेश्वर जी के काव्य में भावनाओं की गहराई, समाज के प्रति जागरूकता और शाश्वत सत्य की खोज, सभी एक साथ दिखते हैं। उनकी कविताएँ कभी विद्रोह की आवाज बनती है तो कभी करूणा की कोमल छाया। उनके लेखन ने न केवल साहित्य जगत में अपनी जगह बनाई बल्कि समाज में भी जागरूकता और संवेदनशीलता का संचार किया। पुस्तक की संरचना इस प्रकार की गई है कि पाठक उनकी कविताओं को अलग-अलग दृष्टिकोण से देख और समझ सकें। प्रारम्भ में उनकी कविताओं के प्रमुख विषयों पर चर्चा की गई है; जैसे प्रेम, प्रकृति, मानवता और सामाजिक विषमता आदि। पुस्तक के मध्य-क्रम में उनके काव्य का समकालीन हिन्दी साहित्य में स्थान और उनकी कविताओं की प्रासंगिकता का विवेचन प्रस्तुत किया गया है।
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