Description
‘देवालय-संगम’ धर्म, समाज और संस्कृति के प्रति दायित्वबोध की ईमानदार अभिव्यक्ति है। एक छोटे से प्रसंग से प्रारंभ हुई यह यात्रा, देश के देवालयों की व्यापक और सुसंगठित जानकारी को सहज भाषा में प्रस्तुत करने तक पहुँची। लेखिका को यह अनुभव हुआ कि आज की पीढ़ी को न केवल चारों धाम, बारह ज्योतिर्लिंग या शक्तिपीठों की सटीक जानकारी नहीं है, बल्कि धार्मिक संवाद की परंपरा भी धीमी होती जा रही है। यही सोच ‘देवालय-संगम’ की प्रेरणा बनी।
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