माथे क अँचरा जोगवलीं

सर्वभाषा ट्रस्ट कविता माथे क अँचरा जोगवलीं
0 Comments

अबहिन ले बहुते निबहली ,

पिया हो! माथे क अँचरा जोगवलीं।

 

अँखियन में लेके दुनों कुल क पानी  

कबहूँ जेठानी त कबों देवरानी           

सासुजी क मेहना, ससुर क ओरहना  

ननदो के नखरा उठवलीं।                   

पिया हो! माथे क अँचरा जोगवलीं।      

 

चुपे चुपे रोवलीं, दरद पीर सहलीं         

केहू से कुछहू न कहलीं                     

पिया हो! माथे क अँचरा जोगवलीं।      

 

झकहूँ ना पवलीं, दुवारी के बहरा         

गतरे गतर में लगल मोरा पहरा            

नाक में नथुनी , गोड़े में गोड़हरा           

गरवा में हँसुली पहिरलीं                    

पिया हो! माथे क अँचरा जोगवली।

 

मन में रहल कि सुरूज़ रूप देखती

भोर फूल बगिया में तितली निरेखती

उड़त चिरइयन संग उड़ले के सपना

मनवे में सजली संवरलीं

पिया हो! माथे क अँचरा जोगवली।

 

साँसते में ससिया रहल दिन रैना

बनके मो रहली पिजरवे क मैना

पिजरे में रहना पिजरवे मे उड़ना

पिजरे भर पंखिया पसरली

पिया हो! माथे क अँचरा जोगवलीं।

 

बिटिया जो होइहें त थरिया बजाइब

अँगने उछाहे क लछना लुटाइब

अब ना गुनब कवनों बन्हना बरजना

अबहिन ले बहुते निबहलीं

पिया हो! माथे क अँचरा जोगवलीं।

 

  • डॉ कमलेश राय
Categories:

1 thought on “माथे क अँचरा जोगवलीं”

  1. Hi, this is a comment.
    To get started with moderating, editing, and deleting comments, please visit the Comments screen in the dashboard.
    Commenter avatars come from Gravatar.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Praesent suscipit m5
Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit, sed do eiusmod tempor incididunt ut labore
Praesent suscipit m4
Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit, sed do eiusmod tempor incididunt ut labore
Praesent suscipit m3
Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit, sed do eiusmod tempor incididunt ut labore
Praesent suscipit m2
Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit, sed do eiusmod tempor incididunt ut labore
लोकप्रिय अभिनेता और सांसद रविकिसन को सर्वभाषा सम्मान
कल शाम दिल्ली स्थित सांसद आवास पर गोरखपुर के यशस्वी सांसद एवं जनप्रिय अभिनेता माननीय
फागुन आय गइल
अमराई बउराइलि,कोइली कूंक सुनाय गइल सरहज के मुसुकी का संगही फागुन आय गइल ।  
के हो लिलरा पर छिरकल गुलाल
के हो लिलरा पर छिरकल गुलाल बदरा उठल मनवां में केतनी सवाल बदरा।   गइलें
जय हो गाजियाबाद
  एगो सांसद चार बिधायक मेयर संगे सै गो पार्षद सबके सब आबाद । जय
मुखिया जी ! कमीशन बोला
काहें थुथुन सुजवले हउवा अब त आपन मुँहवाँ खोला। मुखिया जी ! कमीसन बोला॥ 2॥