ना! ना! ऐसा बिल्कुल नहीं था कि भैयाजी चिरकुट थे। अलबत्ता वह तो इतने तेजस्वी थे कि जहाँ लोग एम ए हिंदी में 55 प्रतिशत के लिए झँखते थे, वहाँ उन्होंने 60 प्रतिशत उठाया था। यकीन मानिए तब यह 60 प्रतिशत 80 से कम न होता था क्योंकि उनके समय एक प्रोफेसर अपने अधिकतम 50 अंकों में से 18-20 से ऊपर किसी को नहीं देते थे। इसकी वजह थी कि उनके किसी झक्की गुरु ने उस पेपर में उनको इसी के आसपास नम्बर दिया था। सो, भैयाजी विभाग में साठ…
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