चारों ओर चलत हौ कच कच का टटका का बासी। आईं, सुनी कथा कैलासी॥ उखमज्जल नेतन के चउवा मंहगइयो के पसरल पउवाँ पलायन के मुँह झोकारीं बेढ़ ले गइल सगरी गउवाँ। झंखत मिलें महातिम खातिर का काबा का कासी। आईं, सुनीं कथा कैलासी॥ ठोकर मरलेस अस समइया अलगा भइलें आपन भइया पेट के गड़हा पाटीं कइसे मजधार में डूबत नइया। डाहै सझइता, मारै अवांढ़ ना खासीं न उबासी। आईं, सुनीं कथा कैलासी॥ नीक समइया कहाँ सोहाता अकनत अकनत बीतल जाता खाली पेट खेतिहर लउकें मजूरवन के सिरे बिसाता । तरसत…
Read MoreTag: जयशंकर प्रसाद द्विवेदी
जय हो गाजियाबाद
एगो सांसद चार बिधायक मेयर संगे सै गो पार्षद सबके सब आबाद । जय हो गाजियाबाद। नगर निगम के हाल न पूछा जी डी ए से ताल न पूछा पूरे पूरा सहर के बबुआ जनता बा बेहाल न पूछा। कोसिस करत करत मरि जइबा होखी ना संवाद । जय हो गाजियाबाद। कतो सड़क पर गटर क पानी स्वच्छता के क़हत कहानी बेगर मंगले कुछौ मिले ना अधिकारिन के हौ मनमानी। चिट्ठी प चिट्ठी भेजले जा सुने ना केहू नाद । जय हो गाजियाबाद। सभके चारो ओरी घेरा…
Read More