काहें थुथुन सुजवले हउवा
अब त आपन मुँहवाँ खोला।
मुखिया जी ! कमीसन बोला॥ 2॥
दुई हजार शौचालय के बा
आवास ला कतना लेबा
खोरी में बजकत पनरोहा
बिरधा पेंसन केकरा देबा।
घूमत खूब दहावत हउवा
कान्ही पर लटकउले झोला।
मुखिया जी ! कमीसन बोला॥ 2॥
बी पी एल के कारड चाही
रासन मिलल बजारे जाई
जहवाँ जहवाँ आँखि गड़ल हौ
ओकरो से ह ठसक उगाही ।
हर योजना पचावत हउवा
नइखे बाचल कउनो टोला।
मुखिया जी ! कमीसन बोला॥ 2॥
चउरा छाजन चाहे नाली
बचि ना जाये एक्कौ खाली
चार खाँची माटी चकरोटे
दसखत बनी दबाके जाली।
आपन भाव बनवले हउवा
कब्जावत जी एस के कोला।
मुखिया जी ! कमीसन बोला॥ 2॥
बिजुरी बत्ती दुअरे दुअरे
सभले बेसी अपना पजरे
उढूक लगते फ़ूटल ठेहुन
दखिन टोला रात जे गुजरे ।
जाति क राग कढ़वले हउवा
सभका सोझा बदलत चोला।
मुखिया जी ! कमीसन बोला॥ 2॥
- जयशंकर प्रसाद द्विवेदी